यूपीसीडा के सीईओ मयूर माहेश्वरी ने “उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास की रणनीति” सत्र में बताया कि किस तरह से राज्य में बीते सात वर्षों में जबरदस्त परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने कहा कि पहले बुंदेलखंड के जैसे क्षेत्र, जिनमें बांदा, चित्रकूट और हमीरपुर जैसे जिले शामिल हैं, में लोग जाना नहीं चाहते थे। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मजबूत इच्छाशक्ति और फोकस ने इस क्षेत्र को मुख्यधारा में लाने की दिशा में ठोस कदम उठाए।
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और औद्योगिक निवेश
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण से इस क्षेत्र में आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ है। नोएडा जैसी टाउनशिप का विकास हो रहा है और ललितपुर में बल्क ड्रग्स और फार्मा पार्क की स्थापना की जा रही है। भारत की 65% फार्मा इंडस्ट्री अभी भी चीन पर निर्भर है, लेकिन यूपी इस निर्भरता को खत्म करने की दिशा में कार्यरत है।
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औद्योगीकरण का विस्तार छोटे कस्बों से वैश्विक कंपनियों तक
माहेश्वरी ने उदाहरण देते हुए कहा कि लखनऊ से सिर्फ 45 मिनट की दूरी पर स्थित संडीला जैसे छोटे कस्बे में आज आईटीसी, पेप्सिको, हल्दीराम और बालाजी वेफर्स जैसी मल्टीनेशनल कंपनियां कार्यरत हैं। मथुरा के पास कोपी में कोविड के समय फ्रांस की कंपनी ने ऑक्सीजन प्लांट लगाया, जो आज एशिया का सबसे बड़ा प्लांट बन चुका है। इसके अलावा, इटली की एक केमिकल कंपनी को जमीन दी गई, जो अब अटल टनल जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए आवश्यक केमिकल यहीं बना रही है।
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इंफ्रास्ट्रक्चर के दम पर बदली तस्वीर
उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में उत्तर प्रदेश ने सड़क, हाईवे, एयरपोर्ट और लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी पर बड़ा निवेश किया है। आज यूपी में 21 एयरपोर्ट हैं और देश के कुल एक्सप्रेसवे नेटवर्क का 56% हिस्सा इसी राज्य में है। इसके चलते प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2016-17 में ₹48,000 से बढ़कर अब ₹1,24,000 हो गई है, जो कि 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
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सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक की प्रेरणादायक यात्रा
प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने समंदर की रेत को अपना कैनवस बनाया और उस पर कला रचनी शुरू की। लोगों को पहले यह लगता था कि रेत पर बनाई कला कितनी देर टिकेगी, लेकिन उन्होंने कभी इस बारे में नहीं सोचा और बस अपने काम पर ध्यान दिया। आज उनकी कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है।
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शिखा शर्मा की संघर्ष और रंगोली से बनी पहचान
रंगोली आर्टिस्ट शिखा शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने पिता का डॉक्टर बनने का सपना छोड़कर कला को अपनाया। उन्होंने रंगोली के क्षेत्र में कई वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए हैं, जिनमें सबसे अनोखा रिकॉर्ड है उज्जैन से केदारनाथ तक 21 किलोमीटर के ट्रैक पर बनाई गई रंगोली। यह काम बेहद कठिन था क्योंकि पहाड़ों में मौसम लगातार बदलता रहता है, लेकिन उनकी लगन ने इसे संभव बनाया।
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कौशल विकास में हो रहा ठोस काम
आईएएस डॉ. हरिओम ने कौशल विकास की योजनाओं के बारे में बताया कि दीनदयाल कौशल विकास योजना, पीएम इंटर्नशिप योजना, पीएम विश्वकर्मा योजना और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत लाखों युवा लाभान्वित हो चुके हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि स्किल डवलपमेंट को सफल बनाने के लिए सोशल फ्रेमवर्क में बदलाव ज़रूरी है। भारत में आज भी हाथ से काम करने को छोटा समझा जाता है, जबकि यही असली हुनर है जिसे सम्मान देने की आवश्यकता है।
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