प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत का कृषि निर्यात काफी बढ़ा है, जिससे किसानों को अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य मिल रहा है। अब बिहार के मखाना की बारी है, जो देश के कई शहरों में नाश्ते का अहम हिस्सा बन चुका है। उन्होंने बताया कि वे खुद साल में 300 दिन मखाना खाते हैं और इसे एक सुपरफूड मानते हैं। इसी कारण इस बार के बजट में मखाना बोर्ड बनाने की घोषणा की गई है। इसके साथ ही पूर्वी भारत में फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने में बिहार की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। भागलपुर, मुंगेर और बक्सर में फूड प्रोसेसिंग केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो आम, टमाटर और आलू के किसानों की सहायता करेंगे।
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बिहार के किसानों को सीधा लाभ, बिचौलियों की भूमिका खत्म
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि अब जब केंद्र सरकार एक रुपया भेजती है, तो उसका पूरा सौ प्रतिशत किसानों तक पहुंचता है, जबकि पहले बिचौलिए किसानों का हक छीन लेते थे। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस और राजद की सरकार थी, तब किसानों के लिए जितना बजट तय किया जाता था, उतना पैसा अब एनडीए सरकार सीधे किसानों के खाते में भेज रही है। पिछली सरकारों के समय बाढ़ और सूखे की स्थिति में किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता था, लेकिन 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद किसान फसल बीमा योजना शुरू की गई, जिससे लाखों किसान लाभान्वित हुए। उन्होंने बताया कि अब तक देश में सवा करोड़ महिलाएं “लखपति दीदी” बन चुकी हैं, जिनमें बिहार की हजारों जीविका दीदियां शामिल हैं।
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एनडीए सरकार की पहल सस्ती खाद से 12 लाख करोड़ की बचत
लालू परिवार पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग पशुओं का चारा हड़प सकते हैं, वे कभी किसानों की भलाई नहीं कर सकते। पहले किसानों को यूरिया के लिए संघर्ष करना पड़ता था और कालाबाजारी आम थी, लेकिन अब किसानों को पर्याप्त खाद मिल रही है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार न होती तो आज भी किसानों को खाद के लिए लाठियां खानी पड़ती और बरौनी खाद कारखाना बंद ही रहता। उन्होंने बताया कि विदेशों में जो खाद की बोरी 3000 रुपये में मिलती है, उसे एनडीए सरकार 300 रुपये से कम में उपलब्ध करा रही है। सरकार ने यूरिया और डीएपी का खर्च खुद उठाया है, जिससे किसानों के 12 लाख करोड़ रुपये बचाए गए हैं।
पीएम किसान निधि योजना बिचौलियों के बिना सीधा लाभ
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर एनडीए सरकार न होती, तो किसानों को पीएम किसान निधि योजना का लाभ नहीं मिलता। इस योजना के छह सालों में अब तक तीन लाख 70 हजार करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में भेजे जा चुके हैं, जिसमें किसी भी तरह के बिचौलियों की भूमिका नहीं है।
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