समाजवादी पार्टी की अपने नेताओं को थामने की रणनीति असफल साबित हो रही है। पूर्व मंत्री संजय गर्ग ने बुधवार को लखनऊ में सपा को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। दूसरी ओर, सपा के महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व सांसद सलीम शेरवानी ने सहसवान (बदायूं) में अपने समर्थकों की बैठक की। बैठक में तय हुआ कि वे सेक्युलर सोच के उम्मीदवार को समर्थन देंगे, भले ही वह किसी भी दल का हो।
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समाजवादी पार्टी में असंतोष: नेताओं की इस्तीफा की सिरपर्दागी
इसके बाद हाल ही में, जब सपा ने राज्यसभा चुनाव के तीन प्रत्याशियों को उतारा, तो यह असंतोष आगे बढ़ गया। राष्ट्रीय महासचिव और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी और विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया।
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सपा में नेताओं की ध्रुवता में बदलाव राज्यसभा चुनाव के परिणाम
सपा में स्वामी प्रसाद मौर्य और विधानसभा में पार्टी के पूर्व मुख्य सचेतक मनोज पांडे दोनों ही किसी समर्थन के विपरीत ध्रुव के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने एक-दूसरे को भाजपा के एजेंट कहा था। लेकिन राज्यसभा चुनाव के दौरान इन नेताओं ने सपा से अलग रास्ता अपनाया। मनोज पांडे सहित सपा के सात विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया। इसके अतिरिक्त, पांच बार के सांसद रहे सलीम शेरवानी ने भी पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया। उनका चुनाव क्षेत्र बदायूं रहा। इसके बाद, सपा ने धर्मेंद्र यादव की बजाय शिवपाल यादव को अपना प्रत्याशी बनाया। शिवपाल ने सलीम शेरवानी को मनाने के लिए फोन किया। इस पर, चार मार्च को लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सलीम शेरवानी के बीच मुलाकात हुई।
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