पटना हाईकोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पहले जारी किया गया परिणाम अब वैध और लागू रहेगा। इससे पहले, 70वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम कुछ शर्तों के साथ जारी किया गया था। इन शर्तों में कहा गया था कि अगर पटना हाईकोर्ट में दायर याचिका (CWIC-369/2025) का कोई आदेश पारित होता है, तो परीक्षा परिणाम प्रभावित हो सकता है। इसके साथ ही जिन उम्मीदवारों को आयोग द्वारा पहले से प्रतिबंधित किया गया था, या जिनका भविष्य में प्रतिबंधित होने का खतरा था, उनकी भी पात्रता प्रभावित हो सकती थी। हालांकि, कोर्ट के ताजे फैसले ने इन शर्तों को खारिज कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि बीपीएससी द्वारा जारी किया गया परिणाम अब बिना किसी शर्त के लागू रहेगा।
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बीपीएससी परीक्षा में विवाद वायरल वीडियो, प्रश्नपत्रों की गड़बड़ी और पेपर लीक के आरोप
इस परीक्षा के दौरान हंगामा और विवादों की एक लंबी कड़ी सामने आई। पटना के एक परीक्षा केंद्र से जुड़ी तस्वीरों और वीडियो के वायरल होने के बाद यह मामला ज्यादा तूल पकड़ने लगा। इन वायरल वीडियोज में परीक्षा केंद्र पर अनुशासनहीनता, प्रश्नपत्रों के वितरण में देरी और उत्तरपुस्तिकाओं के गलत तरीके से संग्रहण के मुद्दे उठाए गए थे। इसके बाद, आयोग ने उस परीक्षा केंद्र पर पुनर्परीक्षा आयोजित की, लेकिन मामला फिर भी शांत नहीं हुआ। परीक्षार्थियों ने आरोप लगाए थे कि परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्रों की संख्या कम या अधिक थी, और कई छात्र एक-दूसरे से खुले तौर पर प्रश्नपत्र ले जाते दिखे थे। इसके अतिरिक्त, कुछ परीक्षार्थियों ने उत्तरपुस्तिका छीनने और छीना-झपटी के आरोप लगाए थे। इन आरोपों के बाद पेपर लीक होने की संभावना भी सामने आई, जिसके कारण इस परीक्षा को लेकर और भी विवाद पैदा हुआ।
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विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक हस्तक्षेप बीपीएससी परीक्षा विवाद में बढ़ी सियासी जुड़ाव
इस स्थिति के बाद परीक्षार्थियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। आंदोलन की शुरुआत छोटे स्तर पर हुई, लेकिन जल्दी ही इसमें राजनीतिक हस्तियों का दखल भी देखा गया। सबसे पहले, विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। इसके बाद निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया। जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने इस आंदोलन को एक नया मोड़ दिया। उन्होंने दो प्रमुख कदम उठाए—एक तो लंबी भूख हड़ताल की और दूसरा, उन्होंने आंदोलनकारी परीक्षार्थियों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर करवाई। इस याचिका के बाद, बीपीएससी ने परीक्षा परिणाम जारी करते हुए कुछ शर्तों को लागू किया था, जिनका कारण यही याचिका थी।
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हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई 14 उम्मीदवारों ने परीक्षा गड़बड़ियों की जांच की मांग की
इसके बाद हाईकोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें शेखपुरा, पूर्वी चंपारण, गया, रोहतास, मुजफ्फरपुर, खगड़िया, नालंदा, औरंगाबाद, सुपौल, पटना और अररिया के 14 उम्मीदवारों ने याचिका दायर की थी। इस याचिका में इन उम्मीदवारों ने अपनी समस्याओं को उजागर किया था और परीक्षा में हुई गड़बड़ियों की जांच की मांग की थी। इन उम्मीदवारों की ओर से वरीय अधिवक्ता वाई वी गिरी ने हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि परीक्षा में हुई गड़बड़ियों की वजह से न केवल उनके भविष्य पर असर पड़ा, बल्कि पूरी परीक्षा की निष्पक्षता भी सवालों के घेरे में आ गई।
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हाईकोर्ट का फैसला बीपीएससी परिणाम पूरी तरह वैध, याचिका का कोई प्रभाव नहीं
हालांकि, हाईकोर्ट ने 31 जनवरी को यह स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ताओं की अपील पर कोई अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी। साथ ही, यदि आयोग रिजल्ट जारी करता है, तो वह औपबंधिक रूप से लागू होगा। यही स्थिति गुरुवार को देखने को मिली, जब बीपीएससी ने परिणाम जारी किया। हालांकि, यह परिणाम पूरी तरह से हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर था। अब, हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बीपीएससी द्वारा जारी किया गया परिणाम पूरी तरह से वैध और लागू रहेगा, और यह याचिका के दावे के बावजूद किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होगा।
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