कांग्रेस के विदेश इकाई प्रमुख सैम पित्रोदा अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं, और इस बार पित्रोदा के चीन को लेकर दिए गए बयान ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। पित्रोदा ने कहा कि चीन को भारत का दुश्मन नहीं मानना चाहिए और यह दावा किया कि चीन से खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने भारत की नीति को टकरावपूर्ण बताया और कहा कि अब समय आ गया है कि देशों को आपसी सहयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि संघर्ष को।
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पित्रोदा के बयान पर भाजपा का पलटवार
सैम पित्रोदा के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा से चीन के प्रति नरम रही है और पित्रोदा की टिप्पणी इसी मानसिकता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि यह बयान चीन के प्रति कांग्रेस की सहानुभूति को उजागर करता है और यह कांग्रेस नेताओं द्वारा पूर्व में दिए गए बयानों से मेल खाता है।
त्रिवेदी ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि पार्टी को अमेरिका से फंडिंग मिलती है, जिसका उपयोग भारत की चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। उन्होंने यह दावा भी किया कि कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई के पाकिस्तान से करीबी संबंध हैं और कांग्रेस को इस पूरे मामले पर जनता के सामने स्पष्ट जवाब देना चाहिए।
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भाजपा प्रवक्ताओं के कड़े आरोप
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कांग्रेस पर चीन के प्रति विशेष झुकाव रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिन लोगों ने 40,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन चीन को दे दी, उन्हें आज भी चीन से कोई खतरा नहीं दिखता। उन्होंने यह भी कहा कि 2008 में कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के बीच हुए समझौते से साफ है कि कांग्रेस के चीन से गहरे संबंध हैं।
सिन्हा ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का समर्थन किया था, जबकि भारत उस समय चीन की विस्तारवादी नीतियों को लेकर सतर्क था। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कांग्रेस को चीन से कोई खतरा नहीं लगता, तो राहुल गांधी ने संसद में यह दावा क्यों किया कि चीन ने भारतीय भूमि के 4,000 वर्ग किलोमीटर हिस्से पर कब्जा कर लिया है? रक्षा मंत्री ने इस दावे को खारिज कर दिया था, जिससे कांग्रेस की नीति पर और सवाल उठने लगे हैं।
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चीन को लेकर कांग्रेस का रुख हमेशा सवालों के घेरे में
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस पर चीन के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगा हो। पूर्व में भी भाजपा कई बार कांग्रेस पर आरोप लगा चुकी है कि पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर ढुलमुल रवैया अपनाती है। 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर डोकलाम विवाद तक, कांग्रेस पर कई मौकों पर चीन को लेकर स्पष्ट नीति न अपनाने का आरोप लगा है।
कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के बीच 2008 में हुए एक समझौते को लेकर भी भाजपा लगातार हमलावर रही है। भाजपा का कहना है कि इस समझौते के तहत कांग्रेस को चीन से विशेष सहयोग मिलता रहा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर उसकी भूमिका संदेह के घेरे में आ जाती है।
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राजनीतिक बयानबाजी जारी, चीन पर भारत की नीति क्या होनी चाहिए?
सैम पित्रोदा के बयान से उठे विवाद के बीच यह सवाल फिर से खड़ा हो गया है कि भारत को चीन के प्रति किस तरह की नीति अपनानी चाहिए। जहां भाजपा का मानना है कि चीन से खतरा वास्तविक और गंभीर है, वहीं कांग्रेस यह दावा कर रही है कि सहयोग और कूटनीति से इस समस्या को हल किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को चीन के साथ संतुलित नीति अपनानी चाहिए, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास दोनों का ध्यान रखा जाए। हालांकि, चीन की आक्रामक सैन्य और व्यापारिक नीतियों को देखते हुए भारत को सतर्क रहने की जरूरत है।
अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से क्या आधिकारिक बयान आता है और क्या सैम पित्रोदा अपने बयान पर कायम रहते हैं या इसे लेकर कोई स्पष्टीकरण जारी करते हैं। वहीं, भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह कांग्रेस के चीन के प्रति रुख पर लगातार सवाल उठाती रहेगी।
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