February 6, 2025

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Jaishankar

जयशंकर का बयान निर्वासितों के दुर्व्यवहार रोकने के लिए ट्रंप प्रशासन से संपर्क

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में अपना बयान जारी करते हुए कहा कि सभी देशों का यह कर्तव्य है कि वे अपने नागरिकों को विदेशों में अवैध रूप से रहने पर वापस लें।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया वैश्विक दायित्व है और इसे सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं किया जा सकता। जयशंकर ने बताया कि भारतीय सरकार अमेरिकी अधिकारियों के साथ लगातार संवाद बनाए हुए है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वासित भारतीयों के साथ कोई भी दुर्व्यवहार न हो।

चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार अवैध आव्रजन के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है, और यह कदम पूरी दुनिया में अवैध आव्रजन को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाए गए हैं।

जयशंकर ने सदन में यह भी कहा कि सरकार ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिए हैं कि वे अवैध आव्रजन के मामलों में शामिल एजेंटों और अन्य संबंधित संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

इससे यह सुनिश्चित होगा कि ऐसे अवैध गतिविधियों में लिप्त लोग भविष्य में यह कार्य न कर सकें। उनका कहना था कि यह कार्यवाही केवल एक सबक के रूप में नहीं, बल्कि एक निवारक कदम के रूप में भी की जाएगी ताकि कोई भी भविष्य में इस प्रकार के कार्यों में शामिल होने का प्रयास न करे।

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जयशंकर का बयान निर्वासन प्रक्रिया कानूनी, अधिकारियों को पूछताछ के निर्देश

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया नई नहीं है, बल्कि यह दशकों से चल रही है। उनका मानना था कि यह एक सामान्य और कानूनी प्रक्रिया है, जो समय-समय पर विभिन्न देशों में होती रही है।

उन्होंने बताया कि इस बार वापस लौटे भारतीय नागरिकों से अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे पूछताछ करें ताकि यह जानकारी मिल सके कि वे अमेरिका कैसे पहुंचे।

किस एजेंट ने उन्हें वहां भेजा और किस प्रकार से यह घटना घटित हुई। इसके जरिए, सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न घटित हों।

जयशंकर ने कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि हाल ही में 104 भारतीयों को अमेरिका से वापस भेजा गया है।

उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि भारतीय सरकार द्वारा की गई थी, ताकि कोई भी भ्रम या गलतफहमी न हो। उन्होंने सरकार की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और कानूनी बताया।

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अमेरिका से निर्वासित भारतीयों पर विपक्ष का विरोध, पीएम की यात्रा से पहले मामला

अमेरिका द्वारा भारत के नागरिकों को निर्वासित करने के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने विरोध जताया और इसे एक संवेदनशील मामला बताया।

गुरुवार को हुए हंगामे के दौरान विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है और इसे हल्के में ले रही है।

इससे पहले बुधवार को अमेरिकी सेना का एक विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा, जिसमें ये निर्वासित भारतीय नागरिक थे।

यह निर्वासन अमेरिका में कथित तौर पर अवैध रूप से रह रहे भारतीयों का पहला बड़ा मामला था, जो डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान हुआ।

यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वॉशिंगटन यात्रा से ठीक पहले हुई है, जिसमें उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से विस्तृत बातचीत करनी है।

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निर्वासित भारतीयों का विवरण, सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण मुद्दा

निर्वासित भारतीयों के आंकड़े के अनुसार, 30 लोग पंजाब से, 33-33 लोग हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन लोग महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से, और दो लोग चंडीगढ़ से हैं।

इस समूह में 19 महिलाएं, चार वर्षीय एक लड़का, और पांच तथा सात साल की दो लड़कियां सहित 13 नाबालिग शामिल हैं।

यह तथ्य भी सरकार के सामने इस संवेदनशील मामले को और अधिक जटिल बना रहा है, जिससे यह तय करना जरूरी हो जाता है कि उन्हें सही तरीके से और बिना किसी कठिनाई के वापस लाया जाए।

यह निर्वासन मामले ने भारतीय सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश की है, जिससे संबंधित कई पहलुओं पर सरकार को आगे सोचना होगा, खासकर विदेश नीति, अवैध आव्रजन नियंत्रण, और नागरिकों के अधिकारों को लेकर।

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