June 6, 2025

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UPSC: मिर्जापुर की SDM सौम्या को 18वीं रैंक, उन्नाव की दो बहनें भी सफल

असफलता से डरने की बजाय कमियों को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए, तभी सफलता मिलती है। किसी परीक्षा में असफल होने का मतलब जीवन का अंत नहीं होता। हमें अपनी गलतियों की समीक्षा कर प्रदर्शन सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। यह कहना है UPSC में 18वीं रैंक पाने वाली मिर्जापुर की एसडीएम सौम्या मिश्रा का। दिल्ली में रहने वाली सौम्या और उनकी बहन सुमेघा दोनों ने UPSC परीक्षा एक साथ पास की। दोनों बहनें यूपी के उन्नाव जिले के अजयपुर गांव की रहने वाली हैं उनके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और उन्होंने बेटियों को वहीं से पढ़ाया। पिता ने बेटियों को सरकारी स्कूल में पढ़ाकर मिसाल पेश की है।

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मिर्जापुर की एसडीएम सौम्या मिश्रा ने बताया कि पिता ने बचपन से UPSC के लिए प्रेरित किया। पिता के मार्गदर्शन में अधिकारी बनने और समाज सेवा का सपना देखा। उन्होंने कहा कि शुरू से ही देश की सेवा का लक्ष्य रखा था। दोनों बहनों ने दिल्ली के राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से भूगोल ऑनर्स में स्नातक किया।

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दो बार असफलता के  बाद मिली सफलता

सुमेघा मिश्रा ने बताया कि उन्हें दो प्रयासों में 253वीं रैंक प्राप्त हुई। उन्होंने युवाओं से असफलता से डरने के बजाय धैर्य रखने की सलाह दी। सकारात्मक सोच, परिवार का सहयोग और सही मार्गदर्शन से सफलता मिलती है। उन्होंने बताया कि उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली थी। प्रतिदिन सात-आठ घंटे पढ़ाई और उत्तर लेखन की योजना बनाई थी।

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सरकारी स्कूल की शिक्षा से भी मिल सकती है अफसर बनने की राह

दोनों बहनों ने कहा कि प्राइवेट स्कूल जरूरी नहीं, सरकारी स्कूल से भी यूपीएससी पास किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनके पिता सरकारी स्कूल में प्रोफेसर हैं और हमेशा अधिकारी बनने के लिए प्रेरित करते रहे। बचपन से पिता ने देश और समाज सेवा का सपना दिखाया और वही हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा बने। हम दोनों ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की और पिता के मार्गदर्शन से यूपीएससी तक का सफर तय किया।

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मां ने मिर्जापुर में बड़ी बेटी को और पिता ने दिल्ली में छोटी बेटी को दी तैयारी में मदद

सौम्या मिश्रा ने चौथे प्रयास में UPSC पास की और UPPCS भी क्लियर कर मिर्जापुर में SDM पद पर हैं। उनकी मां रेणु मिश्रा मिर्जापुर में बड़ी बेटी की पढ़ाई में सहयोग करती रहीं। पिता राघवेंद्र मिश्रा दिल्ली में छोटी बेटी सुमेघा की तैयारी में मदद करते रहे। सौम्या को MA में बेहतरीन प्रदर्शन पर गोल्ड मेडल मिला था। सुमेघा को भी पढ़ाई में शानदार प्रदर्शन के लिए गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ।