शिक्षा मंत्रालय ने नया राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (एनसीएफ) तैयार किया है, जिसके अनुसार 9वीं और 10वीं कक्षाओं के छात्रों को तीन भाषाओं का अध्ययन करना होगा, जिनमें से दो भारतीय भाषाएं शामिल होंगी। इसके साथ ही, 11वीं और 12वीं कक्षाओं के छात्रों को दो भाषाओं की पढ़ाई करनी होगी और इनमें से कम से कम एक भारतीय भाषा होनी आवश्यक होगी।
इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार एनसीएफ में कहा गया है कि 9-10वीं कक्षा के लिए सात विषय अनिवार्य होंगे जबकि 11-12वीं कक्षा के लिए छह विषय अनिवार्य होंगे।
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इसमें कहा गया है कि ‘‘ विभिन्न स्तरों पर भाषाओं से लोकतांत्रिक एवं ज्ञानमीमांसा आधारित मूल्यों को विकसित करने तथा संस्कृति एवं समाज की विविधता के प्रति सम्मान की भावना (सांस्कृतिक साक्षरता) के विकास में मदद मिलेगी।’’
वर्तमान में 9वीं एवं 10वीं कक्षा के छात्र दो भाषाओं का अनिवार्य रूप से अध्ययन करते हैं जबकि 11वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्र एक भाषा का अध्ययन करते हैं । 9वीं एवं 10वीं कक्षा के छात्रों को पांच विषय पढ़ने होते हैं और एक विषय अतिरिक्त शामिल करने का विकल्प होता है।
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भारतीय भाषाएँकी: महत्वपूर्ण भूमिका
शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया कि कस्तूरीरंगन के मार्गदर्शन में संचालन समिति ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए पाठ्यपुस्तकों की तैयारी की है और यह पाठ्यपुस्तकें सरकार को प्रस्तुत की गई हैं, और सरकार ने इस काम को राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को सौंप दिया है।
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स्कूली शिक्षा के राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा के अनुसार, 9वीं एवं 10वीं कक्षा के लिए सभी स्कूलों को तीन भाषाओं की पेशकश करने की जरूरत है और इसमें से कम से कम दो भारतीय भाषा होनी चाहिए।
इसमें कहा गया है कि तीन भाषाओं के साथ सात अन्य विषय छात्रों को पढ़ने होंगे जिनमें गणित, गणनात्मक सोच, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, सेहत, व्यवसायिक शिक्षा और अंत: विषयक क्षेत्र शामिल हैं।
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विषयों के लिए नए प्रमाणन और मूल्यांकन की योजना: बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव के प्रस्तावना
दस्तावेज के अनुसार, बोर्ड परीक्षा भाषा सहित केवल सात विषयों के लिए ली जाएगी और कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, सेहत, व्यवसायिक शिक्षा का मूल्यांकन आंतरिक परीक्षा के रूप में होगा।
इसमें यह उल्लिखित है कि कला और विज्ञान, पाठ्यक्रम संबंधी या पाठ्यक्रमों की गतिविधियों, और व्यावसायिक और शैक्षिक विषयों के बीच कोई विभाजन रेखा नहीं होना चाहिए।
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एनसीएफ के अनुसार, 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों को भाषा शिक्षा के खंड से दो भाषाओं का अध्ययन करना होगा जिसमें एक भारतीय भाषा शामिल है।
स्कूली स्तर पर ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे’ के दस्तावेज के अनुसार, कक्षा 11वीं और 12वीं में विषयों का चयन कला, विज्ञान, वाणिज्य ‘स्ट्रीम’ तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि छात्र-छात्राओं को अपनी पसंद का विषय चुनने की आजादी मिलेगी।
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नए पाठ्यचर्या ढांचे में मूल्यांकन की नई दिशा
पाठ्यचर्या के अनुसार, व्यवसायिक शिक्षा, कला शिक्षा और शारीरिक शिक्षा एवं सेहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे का अभिन्न हिस्सा है। हालांकि इन मामलों में अधिकांश मूल्यांकन प्रदर्शन आधरित होना चाहिए और लिखित परीक्षा आधारित नहीं।
इसमें सुझाव दिया गया है कि पूरे प्रमाणन प्रक्रिया में 75 प्रतिशत वजन दर्जने वाले जोरदार प्रदर्शन पर आधारित मूल्यांकन के रूप में दिया जाए और बाकी 25 प्रतिशत लिखित परीक्षा के आधार पर।
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दस्तावेज के अनुसार, बोर्डो को इसके लिए उच्च गुणवत्ता की प्रणाली तैयार करनी होगी और इसे लागू करना होगा जो स्थानीय रूप से (स्कूलों में) प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करेंगे।
विज्ञान और अन्य विषयों की मूल्यांकन प्रदर्शन पर आधारित होना चाहिए, अर्थात् उनके प्रयोग से संबंधित होना चाहिए। विषय के प्रमाणन में, इसका महत्व 20-25 प्रतिशत होना चाहिए।
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