पूरे देश में कोचिंग केंद्रों की एक समांतर शिक्षण व्यवस्था कायम है, जिसमें तय नियम-कायदा नहीं है। इसका परिणाम है कि ये केंद्र अपने कारोबारी होड़ में न केवल बढ़-चढ़ कर दावे करते हैं। बल्कि विद्यार्थियों को झूठे और भ्रामक प्रचार-प्रसार के माध्यम से हांक देते हैं।
Also READ: दिल्ली में आठ दिनों तक फ्लाइट की उड़ान पर रोक
प्रतियोगिता में हानि और शिक्षा प्रणाली को मजबूती
ऐसा व्यवहार न केवल प्रतियोगिता में हानि पैदा कर रहा, बल्कि शिक्षा प्रणाली को भी कमजोर कर रहा है। इस परिस्थिति में शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों का पूरा अनुसरण करना आवश्यक है।
कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा की घातक समस्या: विद्यार्थियों के बढ़ते खतरे ने खोले खतरे की दहाड़
सुरक्षा में ध्यानहीनी: कोचिंग संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या में वृद्धि हो रही है। अपर्याप्त सुविधाएं और संकीर्ण स्थान इसमें योगदान कर रहे हैं। बढ़ते हुए हादसों का खतरा छात्रों के जीवन में भी खतरा बना रहता है। प्राथमिक कक्षाओं के बाद ही बहुत सारे विद्यार्थी कोचिंग केंद्रों के आकर्षण में फंसते देखे जाते हैं।
Also READ: दोषियों को 21 जनवरी तक करना होगा आत्मसमर्पण
कोचिंग संस्थानों की योग्यता और विनियमन में सुधार की दिशा
अध्यापकों की योग्यता पर मानक नहीं, संस्थान स्कूल और बोर्ड की तैयारी दावा करते हैं। इसके बावजूद, प्राथमिक कक्षाओं के बाद विद्यार्थियों कोचिंग केंद्रों की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। शिक्षा मंत्रालय ने इन संस्थानों को विनियमित करने का प्रयास किया है।
कोई भी व्यक्ति अगर किसी विषय की बेहतर समझ रखता हो, तो वह कोचिंग शुरू कर देता है। अब तो हर शहर में बहुमंजिला और कई शाखाओं वाले कोचिंग संस्थान खुल गए हैं। जिन संस्थानों के नतीजे थोड़े बेहतर हैं, उनमें दाखिले के लिए भीड़ लगती है।
More Stories
How India vs Australia Became Cricket’s Biggest Rivalry
भारत-पाकिस्तान की ‘ड्रोन रेस’: खतरे और पलड़ा किसका भारी
Gautam Adani U.S. Indictment: Adani Stocks Plunge