संभल हिंसा मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। ड्रोन कैमरे से मिली वीडियो फुटेज से पता चला है कि जामा मस्जिद के पिछले हिस्से में स्थित हाफिजों वाली मस्जिद की सड़क पर भारी भीड़ जुटी थी। यह सड़क पूरी तरह से पुलिस की निगरानी से बाहर थी, जिससे भीड़ को एकत्र होने का पूरा मौका मिला।
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वीडियो से स्पष्ट है कि सड़क पर पुलिस की गैरमौजूदगी के कारण, लोग धीरे-धीरे वहां इकट्ठा होना शुरू हुए। लगभग 10 मिनट में भीड़ सैकड़ों की संख्या में पहुंच गई। जैसे ही भीड़ बड़ी, उन्होंने पहले निजी वाहनों को निशाना बनाते हुए तोड़फोड़ शुरू की। इस दौरान, पुलिस और भीड़ के बीच केवल 30 मीटर की दूरी थी, लेकिन पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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पुलिस की लापरवाही और भीड़ की हिंसा का सच
तोड़फोड़ के बाद स्थिति और बिगड़ गई। उत्तेजित भीड़ ने आगजनी शुरू कर दी, जिससे इलाके में अफरातफरी मच गई। ड्रोन फुटेज से यह भी पता चलता है कि पुलिस ने जिन रास्तों पर पहरा दिया था, वहां हिंसा की घटनाएं नहीं हुईं। लेकिन हाफिजों वाली सड़क पर पुलिस के न होने का फायदा भीड़ ने उठाया और हिंसा को अंजाम दिया।
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यह खुलासा स्थानीय प्रशासन और पुलिस की लापरवाही को भी उजागर करता है। अगर इस सड़क पर निगरानी होती, तो शायद इस हिंसा को रोका जा सकता था। ड्रोन कैमरे की फुटेज अब प्रशासन के लिए सबूत के तौर पर काम करेगी और हिंसा में शामिल लोगों की पहचान में मदद करेगी।
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