सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की नाबालिग रेप पीड़ित को 30 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन की अनुमति दी। उन्होंने मुंबई के लोकमान्य तिलक अस्पताल को तत्काल अबॉर्शन के लिए इंतजाम करने का आदेश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जल्दी से फैसला सुनाने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया कि अबॉर्शन से बच्ची की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर असर होगा।
Also READ: कर्नाटक: पत्नी के सामने शादीशुदा महिला से रेप, फोटो खींच धर्म बदलने का डाला दबाव
मामले में नाबालिग की मां ने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जहां उन्हें अबॉर्शन की इजाजत नहीं मिली थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई और कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए नाबालिग का मेडिकल चेकअप कराने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से राय मांगी
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, मामले में IPC की धारा 376 और POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज है। CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने पिछली सुनवाई में महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को याचिकाकर्ता और उसकी नाबालिग बेटी की सुरक्षा सहित अस्पताल ले जाने का आदेश दिया था। आज कोर्ट में पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मामले का निर्णय सुनाया गया।
Also READ: 9 साल बाद सामने आई छोटा राजन की तस्वीर, साफ हुआ कि मौत की खबर थी गलत
बेंच ने पिछली सुनवाई में महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे, जिसमें महाराष्ट्र सरकार को याचिकाकर्ता और उसकी नाबालिग बेटी को सुरक्षित अस्पताल ले जाने के आदेश किए गए थे। आज कोर्ट में पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर अब निर्णय सुनाया गया है।
Also READ: Hong Kong Bans Everest, MDH Spice Mixes Over Pesticide Find
MTP एक्ट: 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करने की अनुमति, 2020 में संशोधन किया गया
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत, शादीशुदा महिलाओं, रेप विक्टिम्स, दिव्यांग महिलाओं, और नाबालिग लड़कियों को 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करने की अनुमति है। 2020 में MTP एक्ट में संशोधन किया गया था, जिससे पहले 1971 में बनाया गया कानून लागू होता था।
Also READ: बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने को तैयार ममता बनर्जी
कोर्ट ने 26 हफ्ते की प्रेग्नेंट शादीशुदा महिला को अबॉर्शन की इजाजत नहीं दी
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 16 अक्टूबर को 26 हफ्ते 5 दिन की प्रेग्नेंट विवाहित महिला की अबॉर्शन की अपील को खारिज कर दिया था। इस मामले में महिला के वकील ने एक्सीडेंटल और अनप्लान्ड प्रेग्नेंसी का दावा किया था, जिसके लिए उन्हें अबॉर्शन की इजाजत चाहिए थी। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए यह तर्क दिया कि प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन की समय सीमा खत्म हो चुकी थी और उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।
More Stories
शेयर बाजार: विवाद से अदाणी के शेयर टूटे, सेंसेक्स चढ़ा
ट्रंप ने फ्लोरिडा की पूर्व अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया
BJP and Congress Clash Over Renewed Violence in Manipur