महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार गुट में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें पार्टी के कोर ग्रुप का सदस्य बनाया गया है। डिप्टी सीएम अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी ने यह कोर ग्रुप गठित किया है, जिसमें वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है। इस ग्रुप का मुख्य उद्देश्य स्थानीय निकाय चुनावों के लिए पार्टी संगठन को मजबूत करना, चुनावी रणनीति तैयार करना और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने से जुड़े निर्णय लेना है।
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कोर ग्रुप में कौन-कौन शामिल?
इस कोर ग्रुप में एनसीपी के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल, वरिष्ठ नेता सुनील तटकरे, छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, हसन मुशरिफ और धनंजय मुंडे को शामिल किया गया है। महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष सुनील तटकरे ने बताया कि इस कोर ग्रुप का मुख्य उद्देश्य पार्टी के पुनर्गठन और आगामी स्थानीय निकाय चुनावों की रणनीति तैयार करना होगा।
इसके अलावा, यह ग्रुप एनसीपी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने, पार्टी की नीति-निर्माण प्रक्रिया में सुधार करने और जनता तक सरकार की योजनाओं को प्रभावी ढंग से पहुंचाने का कार्य करेगा।
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बीड सरपंच हत्या मामले में धनंजय मुंडे पर आरोप
बीड सरपंच हत्या मामले में आरोपों का सामना कर रहे धनंजय मुंडे की कोर ग्रुप में नियुक्ति को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ गया है। एनसीपी के अजित पवार गुट के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि महाविकास अघाड़ी (शिवसेना-उद्धव गुट, कांग्रेस और शरद पवार गुट की एनसीपी) ने मुंडे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
धनंजय मुंडे और हसन मुशरिफ वर्तमान में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में मंत्री हैं, जबकि छगन भुजबल और दिलीप वाल्से पाटिल पिछली एकनाथ शिंदे सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। मुंडे को कोर ग्रुप में शामिल किया जाना इस बात का संकेत देता है कि अजित पवार उन्हें अपना भरोसेमंद नेता मानते हैं।
हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे लेकर नाराजगी जताई है। महाविकास अघाड़ी ने मांग की है कि जब तक सरपंच हत्या मामले की निष्पक्ष जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक मुंडे को मंत्री पद से हटाया जाए।
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वाल्मिक कराड की गिरफ्तारी से बढ़ी मुश्किलें
खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री धनंजय मुंडे, जो बीड जिले से एनसीपी विधायक हैं, सरपंच हत्या से जुड़े जबरन वसूली के मामले में आरोपी वाल्मिक कराड की गिरफ्तारी के बाद से विपक्ष के निशाने पर हैं।
वाल्मिक कराड, जो इस मामले में मुख्य आरोपी हैं, धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगी माने जाते हैं। विपक्ष का आरोप है कि इस हत्या में प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता हो सकती है, इसलिए इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
महाविकास अघाड़ी ने कहा है कि जब तक धनंजय मुंडे इस मामले में पूरी तरह से निर्दोष साबित नहीं होते, तब तक उन्हें मंत्री पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
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सरपंच संतोष देशमुख की हत्या का मामला
सरपंच संतोष देशमुख की 9 दिसंबर 2024 को कथित रूप से अगवा कर प्रताड़ित करने के बाद हत्या कर दी गई थी।
बताया जाता है कि वह बीड जिले में एक ऊर्जा कंपनी द्वारा की जा रही जबरन वसूली को रोकने का प्रयास कर रहे थे। उनकी हत्या के पीछे मुख्य रूप से ऊर्जा फर्म के खिलाफ उनकी सक्रियता को जिम्मेदार माना जा रहा है।
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राजनीतिक घमासान और विपक्ष का रुख
मुंडे की नियुक्ति और उनके खिलाफ उठ रहे सवालों ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्ष ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए इसे एक नैतिकता का सवाल बताया है।
एनसीपी के विरोधी गुट का कहना है कि एक ऐसे व्यक्ति को पार्टी में प्रमुख स्थान देना, जिस पर हत्या मामले में आरोपियों से संबंध रखने के आरोप लग रहे हैं, पार्टी की छवि को धूमिल कर सकता है।
हालांकि, अजित पवार गुट ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि धनंजय मुंडे के खिलाफ अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, इसलिए उन्हें अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
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भविष्य की राजनीति पर असर
इस विवाद का असर आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और महाराष्ट्र की सियासत पर पड़ सकता है।
- एनसीपी (अजित गुट) को इस मुद्दे पर लगातार सफाई देनी पड़ सकती है।
- विपक्ष इसे एक बड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में इस्तेमाल कर सकता है।
- मुंडे की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे उनका राजनीतिक करियर प्रभावित हो सकता है।
- महायुति सरकार पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को सफाई देनी पड़ सकती है।
धनंजय मुंडे की कोर ग्रुप में नियुक्ति ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां एनसीपी (अजित गुट) इसे एक संगठनात्मक मजबूती का कदम बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे एक नैतिक और राजनीतिक सवाल के रूप में उठा रहा है।अब देखना यह होगा कि इस विवाद का आने वाले चुनावों और महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।
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