विस्फोटक घटनाओं को अंजाम देकर फरार हो रहे आतंकियों के लिए कौशाम्बी लंबे समय से एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में उभर रहा है. चाहे कानपुर में हुए बम विस्फोट का मामला हो या फिर कौशाम्बी के एक मदरसे का आतंकी गतिविधियों से जुड़े होने का संदिग्ध मामला, जिले की पुलिस इन मामलों को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है. इससे पहले भी आतंकी प्रयागराज और आसपास के जिलों में अपने ठिकाने बना चुके हैं. एक आतंकी की गिरफ्तारी के बाद प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस ने सभी सीमावर्ती थाना क्षेत्रों, जैसे पूरामुफ्ती, एयरपोर्ट, मऊआइमा, हनुमानगंज, नैनी, नवाबगंज समेत अन्य थानों की पुलिस को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं.
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कानपुर विस्फोट और संदिग्ध आतंकी युवकों की भूमिका
आतंकी घटनाओं के अतीत पर गौर करें तो कानपुर में वर्ष 1998 में विस्फोट की घटना अंजाम दी गई थी. उसमें कड़ाधाम व पूरामुफ्ती इलाके के दो युवकों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी. कानपुर पुलिस उन्हें पकड़कर साथ ले गई थी. पूछताछ में पता चला कि वह आतंकी संगठन सिमी के सदस्य थे. उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई. बाद में जमानत पर छूटे दोनों युवक अपने कामधंधे लगे हुए हैं. इन पर खुफिया तंत्र की आज भी नजर है.
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करारी में संदिग्ध युवक और खुफिया जांच
इसी तरह मेरठ का रहने वाला एक युवक 10 साल पहले करारी कस्बे में रह रहा था. उसकी गतिविधि को लेकर पता चला कि वह जिले के एक चर्चित मदरसे की मदद से आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ था. ऐसे में खुफिया तंत्र ने उसकी धरपकड़ कर पूछताछ भी की. हालांकि गोपनीय जांच में पुलिस के हाथ खाली रहे. इसके बाद युवक हमेशा के लिए करारी छोड़कर कहीं चला गया.
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गैर प्रांतों से संपर्क और सुरक्षा की चुनौतियाँ
जिले के लोग कामधंधे के सिलसिले से पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में आते-जाते रहते हैं.. ऐसे में वहां के स्थानीय लोगों से जिलेवासियों का खासा संपर्क हो जाता है. किसी न किसी कार्यक्रम या फिर मिलने के उद्देश्य से गैर प्रांत के लोगों का जनपद में आवागमन रहता है. ऐसे लोगों पर भी खुफिया तंत्र की नजर नहीं रहती. नतीजतन लजर मसीह जैसे आतंकियों की गतिविधि जिले में होना आम बात मानी जा रही है. जनपद में बेरोजगारी का दंश झेल रहे कामगार नौकरी व मजदूरी के सिलसिले से गैर जनपद या प्रांत में रहते हैं.
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