27 अक्तूबर को जोधपुर की 50 वर्षीय अनीता चौधरी अपने पार्लर से निकलकर टैक्सी में बैठी और लापता हो गईं। तीन दिन बाद, 30 अक्तूबर की रात, पुलिस ने 42 वर्षीय गुलामुद्दीन फारूकी के घर के पास 10 फीट गहरे गड्ढे से उनकी लाश बरामद की। शव छह टुकड़ों में मिला, जिसे देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया।
21 दिन का इंतजार: हत्या के बाद भी हत्यारे की पहचान क्यों नहीं हुई?
पुलिस ने टुकड़ों में कटी अनीता की लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेजकर जांच शुरू की। दूसरी ओर, अनीता के परिजन जोधपुर के भगत की कोठी स्थित तेजा मंदिर में धरने पर बैठ गए और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गए। वे पोस्टमार्टम के लिए भी राजी नहीं हुए। आखिरकार, 21 दिन बाद 19 नवंबर को जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में सीबीआई जांच समेत अन्य मांगों पर सहमति बनी, तब जाकर अनीता का अंतिम संस्कार हो सका। इस खौफनाक हत्या के बाद भी, 21 दिन के इंतजार के बावजूद, हत्यारे की पहचान स्पष्ट नहीं हो सकी। यह मर्डर मिस्ट्री अबेदा परवीन, गुलामुद्दीन फारूकी, तैयब अंसारी और अनीता की सहेली सुनीता के इर्द-गिर्द घूम रही है, जिसे राजस्थान पुलिस अब तक सुलझाने में नाकाम रही है।
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28 नवंबर 2024 को राजस्थान सरकार ने अनीता हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश भेजी, लेकिन गृह मंत्रालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी होने में काफी समय लग गया। आखिरकार, 21 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी हुआ और तीन फरवरी को सीबीआई ने मामला दर्ज किया। पहले पुलिस ने गुलामुद्दीन फारूकी और उसकी पत्नी अबेदा परवीन को मुख्य आरोपी माना था, लेकिन सीबीआई ने जांच के बाद तैयब अंसारी और अनीता की सहेली सुनीता को भी आरोपियों की सूची में शामिल कर लिया। अब जानते हैं ब्यूटीशियन अनीता चौधरी हत्याकांड की पूरी कहानी, जिसे उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड से भी अधिक खौफनाक बताया जा रहा है।
पहले जानें अनीता कौन थी, कब हुई लापता, और कहां व कैसे हुई उसके शव के टुकड़ों की प्राप्ति?
जोधपुर की सरदारपुरा में रहने वाली अनीता चौधरी पति मनमोहन चौधरी ब्यूटी पार्लर संचालिका थीं। वह, प्रॉपर्टी डीलिंग के व्यवसाय से भी जुड़ी थी। 27 अक्तूबर को अनीता दोपहर करीब 2:30 बजे अपना पार्लर बंद कर टैक्सी से कहीं गई थी। इसके बाद वह वापस नहीं लौटी। परिजनों ने उसकी गुमशुदगी दर्ज करवाई, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। टैक्सी के नंबर के जरिए पुलिस उसके चालक तक पहुंची। चालक ने बताया कि उसने महिला को शहर के बाहर गांगाणा क्षेत्र में एक घर के सामने छोड़ा था।
पुलिस की जांच अनीता के ब्यूटी पार्लर के पास रफू का काम करने वाले गुलामुद्दीन फारूकी तक पहुंची, लेकिन वह घर पर नहीं मिला। जांच के दौरान कोई ठोस सुराग नहीं मिला, जिससे पुलिस को शक हुआ। इसके बाद गुलामुद्दीन की पत्नी अबेदा परवीन को पूछताछ के लिए बुलाया गया। शुरुआत में उसने गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन कड़ी पूछताछ में सच उगल दिया। अबेदा ने कबूला कि अनीता की हत्या कर उसके शव को घर के पास 10 फीट गहरे गड्ढे में दफना दिया गया। 30 अक्तूबर को पुलिस ने खुदाई कर वहां से एक बोरी बरामद की, जिसमें अनीता के शव के छह टुकड़े मिले। बाद में पुलिस ने मुंबई से गुलामुद्दीन को भी गिरफ्तार कर लिया।
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अंतिम संस्कार में 21 दिन की देरी, क्या थी इसकी वजह?
अनीता की दर्दनाक मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार भी लंबा खिंच गया। टुकड़ों में मिला शव 21 दिन बाद चिता तक पहुंचा। इसकी वजह थी परिजनों की मांगें, जिन्हें पूरा करने में प्रशासन को समय लगा। अनीता का शव मिलने के बाद अगले दिन ही उसके परिजन जोधपुर के भगत की कोठी स्थित तेजा मंदिर में धरने पर बैठ गए। वे आरोपियों की गिरफ्तारी, कड़ी सजा, सीबीआई जांच और मुआवजे की मांग पर अड़े रहे। आखिरकार, 19 नवंबर को जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में सहमति बनी, जिसके बाद परिजन अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए।
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पुलिस ने चार्जशीट में किसे और क्यों बनाया आरोपी?
अनीता हत्याकांड में पुलिस ने 30 जनवरी को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें गुलामुद्दीन को मुख्य आरोपी और उसकी पत्नी आबिदा को सह-आरोपी बताया गया। पुलिस के अनुसार, हत्या लूट के इरादे से की गई थी, जिसमें गुलामुद्दीन ने अनीता की हत्या की और आबिदा ने उसका साथ दिया। उसे पूरी वारदात की जानकारी थी, लेकिन उसने पुलिस को गुमराह किया। जांच के दौरान पुलिस ने गुलामुद्दीन के घर से एक लोहे का ग्राइंडर बरामद किया, जिसे सबूतों में शामिल किया गया। साथ ही, तलाशी में नींद की गोलियां, नशीले लिक्विड और कुछ केमिकल के डिब्बे मिले। हालांकि, घर में खून के धब्बे नहीं पाए गए, जिससे संदेह हुआ कि केमिकल का इस्तेमाल खून साफ करने के लिए किया गया था।
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