पाकिस्तान के रावलपिंडी में, अधिकारियों ने हिंदुओं और ईसाइयों के घरों को ध्वस्त कर दिया है, जो 70 वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं। ये अल्पसंख्यक पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हैं और सूत्रों के मुताबिक 27 जनवरी को एक हिंदू परिवार, एक ईसाई परिवार और शियाओं के कम से कम पांच घरों को तोड़ दिया गया और उनका सामान इलाके की सड़कों पर फेंक दिया गया।
हिंदू परिवार को पास के ही मंदिर में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा तो वहीं, ईसाई परिवार और शिया परिवार को बिना किसी आश्रय के ही रहना पड़ रहा है। सूत्र बताते हैं कि पीड़ित परिवारों ने अदालत से स्टे ऑर्डर लेने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने बल प्रयोग करके उनके घरों को तोड़ दिया।
हिंदू परिवार को पास के ही मंदिर में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा तो वहीं, ईसाई परिवार और शिया परिवार को बिना किसी आश्रय के ही रहना पड़ रहा है। सूत्र बताते हैं कि पीड़ित परिवारों ने अदालत से स्टे ऑर्डर लेने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने बल प्रयोग करके उनके घरों को तोड़ दिया।
उन्होंने कहा, ‘हमने एक अदालत में उनका विरोध करने की कोशिश की, लेकिन छावनी बोर्ड के पास केवल एक न्यायाधीश नवीद अख्तर हैं, जो उनका पक्ष लेते हैं। हमारे पास सभी कागजात थे क्योंकि हम यहां 70 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं। उनके पास नहीं है।’ हमें नोटिस दिया और अपने घरेलू सामान को बचाने के लिए समय नहीं दिया। हमारे पास परिवार को मंदिर ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक कर रहे हैं उत्पीड़न का सामना
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक पिछले कई दशकों से उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। देश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर सरकार, पुलिस और यहां तक कि न्यायपालिका भी मूकदर्शक बनी हुई है। पाकिस्तान के मामलों के एक विशेषज्ञ, डा. अमजद अयूब मिर्जा ने कहा, ‘पाकिस्तान में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कुछ ऐसा नहीं है जो हमारे लिए नया है। इस अवैध और नकली देश की स्थापना के बाद से जो धर्म के नाम पर बनाया गया था।’
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