लखनऊ की स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट कोर्ट ने आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में दोषी फरीन किन्नर को 20 साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोषी पर 12 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया, जो पीड़िता के पुनर्वास के लिए दिया जाएगा। बच्ची की मां ने 9 अप्रैल 2022 को फरीन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि 27 मार्च 2022 को फरीन ने बच्ची को खीरा खिलाने के बहाने अपने घर ले जाकर दुष्कर्म किया।
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दुष्कर्म के आरोपी का किन्नर होने का दावा झूठा निकला
मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने फरीन को किन्नर साबित करने की कोशिश की। फरीन ने भी खुद को जन्म से महिला किन्नर बताया और कहा कि वह दुष्कर्म कर ही नहीं सकता। बचाव पक्ष ने दावा किया कि फरीन महिलाओं जैसे कपड़े पहनता है और उनकी तरह ही रहता है।
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मेडिकल जांच में खुला सच
कोर्ट के आदेश पर जेल प्रशासन ने 18 सितंबर 2024 को फरीन का लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में लिंग परीक्षण कराया। परीक्षण में पुष्टि हुई कि फरीन पुरुष है। अभियोजन पक्ष ने 27 सितंबर 2024 को कोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट पेश की, जिसके आधार पर फरीन को दोषी करार दिया गया।
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सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों का दिया हवाला
सजा सुनाते वक्त स्पेशल जज ने सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान और साक्ष्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य बनाम छोटेलाल (2011) मामले का उल्लेख करते हुए बताया कि पीड़िता के बयान को बल देने के लिए चोट के निशान होना अनिवार्य नहीं है।
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