सीबीआई ने रोटोमैक ग्लोबल और उसके निदेशकों के खिलाफ इंडियन ओवरसीज बैंक में 750 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले में केस दर्ज कर लिया है। जांच एजेंसी के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। रोटोमैक के प्रमोटर विक्रम कोठारी ने 2008 और 2013 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को विदेशी साख पत्र (एफएलसी) प्राप्त करके विदेश में अपने खरीदारों और आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान किया था। पर ये कंपनियां दुबई, शारजाह और हांगकांग जैसे स्थानों में आभासी कार्यालयों से संचालित हो रही थीं।
जांच एजेंसी ने कंपनी और उसके निदेशकों साधना कोठारी और राहुल कोठारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अलावा आपराधिक साजिश (120-बी) और धोखाधड़ी (420) से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। बैंकों के गठजोड़ के सदस्यों की शिकायतों के आधार पर कंपनी पहले से ही सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में है।
सीबीआई को अपनी शिकायत में इंडियन ओवरसीज बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी को 28 जून, 2012 को 500 करोड़ रुपये की गैर-कोष आधारित राशि सीमा स्वीकृत की गई थी। वहीं, 750.54 करोड़ रुपए की बकाया राशि में चूक के बाद खाते को 30 जून, 2016 को गैर-निष्पादित आस्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया था। बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी की विदेशी व्यापार जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने 11 साख पत्र (एलसी) जारी किए थे। ये सभी पत्र ट्रांसफर कर दिए गए थे, जो 743.63 करोड़ रुपये के बराबर है।
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