लखनऊ में कथित PUBG हत्याकांड में आरोपी बेटे ने साक्ष्य भी मिटाए थे। हत्या के बाद बेटे ने मां साधना सिंह के मोबाइल की कॉल डिटेल, चैट और बाकी डिटेल को डिलीट किया। खास बात यह है कि ये कोशिश खुद को बचाने के लिए नहीं, बल्कि इस मामले में कत्ल का इशारा करने वाले को परिवार के सदस्य को बचाने के लिए थी। ऐसा इसलिए भी, क्योंकि यही एक तरीका था जिससे पुलिस परिवार के उस सदस्य तक पहुंच सकती थी।
7 जून की रात पुलिस ने साधना के शव को घर से निकालने के साथ उनके मोबाइल को भी कब्जे में लिया था। उम्मीद थी कि मोबाइल से केस की हकीकत तक पहुंचने में मदद मिलेगी। फोन के अनलॉक होने के बाद पुलिस को डिटेल गायब मिली।
हत्याकांड-बेटे का मोबाइल रिचार्ज नहीं, मां के फोन से करता था बात
16 साल के बेटे और घटना के मास्टरमाइंड ने पुलिस से एक कदम आगे चलने का प्रयास किया। बेटे के बयान के मुताबिक, 4 जून की देर रात उसने मां साधना को हत्याकांड की थी। वारदात में शामिल परिवार का सदस्य उसको जिस मोबाइल पर डायरेक्शन दे रहा था वो साधना का ही था। पुलिस को जानकारी मिली है कि नाबालिग बेटे के पास एक मोबाइल था। उसे एक महीने पहले से रिचार्ज नहीं कराया गया था।
एक कहानी ये भी है कि मां के राज खुलने के बाद बेटे का मोबाइल छीन लिया गया था। उसके बाद बेटा अपनी मां के मोबाइल से ही परिवार के सदस्य से संपर्क कर रहा था। आशंका जताई जा रही है कि साधना की हत्या की साजिश रचने वाला परिवार का सदस्य आरोपी बेटे से वॉट्सऐप कॉल पर बात कर रहा था। उसे पता था कि इस कॉल की डिटेल नहीं मिल सकती है। हालांकि, फोन हाथ लगने पर वॉट्सऐप के कॉल लॉग में पता चल सकता है। इसलिए उसके कहने पर बेटे ने उस दिन सुबह से लेकर रात तक का पूरा डेटा ही डिलीट कर दिया।
मोबाइल की CDR में 4 जून को बहुत कम नंबर पर बात हुई
बेटे ने हत्या करने के बाद साधना के मोबाइल की 4 जून की सुबह से देर रात 3 बजे तक सभी कॉल डिटेल डिलीट की थीं। ध्यान रखा गया कि चैट और वीडियो कॉल भी हटाए गए। वहीं, पुलिस के मुताबिक साधना की कॉल डिटेल रिपोर्ट (CDR) में भी 4 जून को बहुत कम नंबरों पर बातचीत हुई। जिन नंबरों पर बात हुई है, उसमें ज्यादातर परिवार के लोगों के ही हैं। यानी बेटे ने जिसके इशारे पर घटना को अंजाम दिया था, वो उसे सुबूत मिटाने का भी डायरेक्शन दे रहा था।
पहले सजा दिलाने का दावा, अब छुड़ाने की पैरवी कर रहे पिता
घटना के बाद साधना के पति नवीन ने कहा था कि वो चाहते हैं कि बेटा जिंदगी भर जेल में रहे, लेकिन पत्नी की चिता को मुखाग्नि देने के बाद से ही वो बेटे को बचाने का प्रयास करने लगे। बेटे की जल्दी जमानत करवाने के लिए उन्होंने पास की कॉलोनी के एक समाजसेवी और भाजपा नेता से बात भी की, लेकिन नेता ने मां के हत्या के आरोपी बेटे को छुड़ाने की पैरवी करने से इंकार कर दिया। इसके बाद नवीन ने कई बड़े वकीलों से संपर्क किया।
More Stories
प्रदीप रंगनाथन: ना सिक्स पैक, ना फिल्मी बैकग्राउंड, फिर भी बैक-टू-बैक ब्लॉकबस्टर से फीस पहुंची 12 करोड़
Anxious Alia Bhatt opens up on India-Pakistan tensions, thinks of ‘soldiers who will never come home’ on Mother’s Day
Influence of Gambhir Grows, “Rare” Authority Claimed Post Kohli Decision