April 16, 2025

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बिहार के महाकांड: 10 मिनट में मौत के घाट उतारे गए थे 23 लोग, लाशों के बीच मरने का नाटक कर कई ने बचाई थी जान

बिहार के दो जिलों में नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) को खत्म करने के लिए रणवीर सेना ने दो नरसंहारों को अंजाम दिया. पहला नरसंहार 1996 में भोजपुर के बथानी टोला में हुआ और दूसरा 1997 में जहानाबाद के लक्ष्मणपुर बाथे गांव में हुआ. इसके बाद अगला निशाना जहानाबाद का शंकरपुर बिगहा गांव था, जहां 25 जनवरी 1999 को एक भयावह घटना घटी. बिहार में जातीय तनाव की हिंसा की जड़ें आज़ादी से भी पहले की हैं, लेकिन 1970 के दशक के बाद जातीय हिंसा की घटनाएं और भी क्रूर होती गईं. 1990 के दशक के मध्य में उच्च जातियों के संगठन रणवीर सेना और दलित व पिछड़ी जातियों के बीच संघर्ष चरम पर पहुंच गया, जिसमें बथानी टोला और लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार सबसे प्रमुख थे. शंकरपुर बिगहा हत्याकांड भी इसी दौर का हिस्सा था.

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बिहार के महाकांड: शंकरपुर बिगहा नरसंहार की भयावह कहानी

बिहार चुनाव से जुड़ी हमारी खास पेशकश ‘बिहार के महाकांड’ सीरीज के पांचवें भाग में आज इसी  शंकरपुर बिगहा नरसंहार की कहानी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस दौरान शंकर बिगहा में जो नरसंहार हुआ, उसमें महिलाओं और बच्चों को पॉइंट ब्लैंक रेंज यानी बेहद करीब से सिर और पेट पर गोली मारी गई. रणवीर सेना के कुछ हत्यारों ने इसके बाद एक अखबार से यहां तक दावा किया था कि वह शंकर बिगहा में कम से कम 70 लोगों को मारने के इरादे से घुसे थे.

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शंकरपुर बिगहा नरसंहार: रणवीर सेना की गोलीबारी के बाद ग्रामीणों का प्रतिरोध

गोलियों का शोर जब बंद हुआ और बारूद का धुआं जब कुछ ऊपर उठा तो पीड़ित परिवारों ने वो आवाजें सुनीं, जो कुछ महीने पहले ही बथानी टोला और लक्ष्मणपुर बाथे को दहला चुकी थीं. यह आवाज थी ‘रणवीर सेना जिंदाबाद’ और ‘रणवीर बाबा की जय’ की. घटना के चश्मदीद बताते हैं कि रणवीर सेना की यह गोलीबारी तब रुकी, जब शंकर बिगहा के करीब के गांव धेवाई और करमचंद बिगहा से ग्रामीणों ने हवाई फायरिंग की और घटनास्थल पर आने के संकेत दे दिए. इसके बाद पूरा शंकर बिगहा सीटियों की आवाज से गूंज उठा. रणवीर सेना के लोगों को यह संकेत था भाग निकलने का. इसके बाद हत्यारों की पूरी टोली वहां से भाग निकली. 

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शंकरपुर बिगहा नरसंहार: प्रशासन की लापरवाही और हत्यारों की गिरफ्तारी में देरी

शंकर बिगहा में हुए इस नरसंहार को लेकर ग्रामीणों ने कई मौकों पर प्रशासन की लेटलतीफी की शिकायत की. पीड़ितों के रिश्तेदारों का कहना था कि हमले के कुछ दिन बाद कमांडो फोर्स ने धोबी बिगहा में छापेमारी की और वहां छह हत्यारों को मजे करते देखा. दावा किया जाता है कि यह कमांडो रणवीर सेना के इन कथित कार्यकर्ताओं को मौके पर ही गोली मार देना चाहते थे. हालांकि, तब एएसपी महावीर प्रसाद जो कि एक राजपूत थे, ने हत्यारों को बचा लिया. इसके एक हफ्ते बाद 12 और लोगों को गिरफ्तार किया गया. छह लोग कई महीनों तक फरार रहे.

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