कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने लोगों के मन में एक डर का माहौल बना दिया है। पहली लहर के विपरीत इस बार स्वस्थ लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। इतना ही नहीं संक्रमितों के लक्षणों में भी तेजी से गिरावट देखी जा रही है, जो फिलहाल सबसे ज्यादा चिंता का विषय है। खांसी या बुखार के अलावा इस बार लोग कई असामान्य और अपेक्षाकृत कहीं अधिक जटिल लक्षणों के शिकार हो रहे हैं। कोरोना संक्रमितों में मेमोरी जटिलताएं भी काफी ज्यादा देखने को मिल रही हैं।
यदि आपके परिवार या जानने में कोई भी कोरोना से संक्रमित है और उनमें इस तरह के लक्षण ज्यादा दिनों तक बने रहते हैं तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है।
दुनियाभर से कोरोना वायरस का खतरा अभी टला नहीं है. अभी भी दुनिया में हर रोज करीब 5 लाख से ज्यादा केस आ रहे हैं. वहीं, चीन संक्रमण की अब तक की सबसे खतरनाक लहर का सामना कर रहा है. इन सबके बीच कोरोना को लेकर एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. ब्रिटेन की इस स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमण का मस्तिष्क पर असर 20 साल तक बना रह सकता है.
रिपोर्ट में सामने आया है कि कोरोना संक्रमण एक स्थाई संज्ञानात्मक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकता है. कोरोना से संक्रमित मरीजों में संक्रमण के बाद भी थकान, शब्दों को याद करने में समस्या, नींद की समस्या, चिंता और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
हुआ था मेमोरी टेस्ट
रिसर्चर ने कोरोना के 46 मरीजों के डेटा का अध्ययन किया है.
ये सभी अस्पताल में भर्ती थे. इनमें से 16 को आईसीयू में भी रखा गया था. इन सभी मरीजों को मार्च से जुलाई 2020 के बीच में अस्पताल में भर्ती कराया गया. इन मरीजों के संक्रमण के 6 महीने बाद कॉग्निट्रॉन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर टेस्ट कराए गए. ये टेस्ट मेमोरी, ध्यान और तर्क जैसे मानसिक पहलुओं को मापने वाले थे.इसके अलावा चिंता, अवसाद और अन्य तनाव संबंधी विकारों का भी आकलन आकलन किया गया. आईसीयू में भर्ती मरीजों पर कोरोना का असर ज्यादा देखने को मिला.
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