July 6, 2024

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न्यूक्लियर

चीन रूस साझेदारी: चांद पर न्यूक्लियर प्लांट की निर्माण की कड़ी में

चीन रूस ने मिलकर ऐतिहासिक कदम उठाया है, जब उन्होंने घोषित किया है कि वे चांद की सतह पर न्यूक्लियर प्लांट बनाने का प्लान बना रहे हैं। रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस के CEO यूरी बोरिसोव ने बताया कि इस अद्वितीय परियोजना के लिए दोनों देशों ने मिलकर काम करने का निर्णय लिया है, और यह प्लांट 2033-35 में तैयार होने की उम्मीद है।

बोरिसोव ने एलान किया कि चांद की सतह तक पहुंचने के लिए रूस ने ‘ज्यूस’ नामक न्यूक्लियर पावर से चलने वाले रॉकेट का विकास किया है। यह कार्गो रॉकेट होगी और पूरी तरह से ऑटोमैटिक होगी, जिसे चलाने के लिए इंसान की आवश्यकता नहीं होगी; सिर्फ लॉन्चिंग पर इंसानों को ध्यान देना होगा।

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तकनीक पूरी, इंसानों की जरुरत नहीं

चांद पर पहली बार न्यूक्लियर पावर प्लांट की स्थापना का ऐलान करते हुए, रूसी प्रधानमंत्री बोरिसोव ने बताया है कि यह प्लांट ऑटोमेटेड मोड में होगी और इसके दौरान किसी भी इंसान को चांद पर नहीं भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि पावर प्लांट बनाने की तकनीक पूरी हो चुकी है और इस प्रोजेक्ट में टेक्निकल लूनर रोवर और रोबोट्स शामिल होंगे, जो चांद पर एनर्जी का अनुसंधान करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि इस अंबितियस परियोजना के अंतर्गत अंतरिक्ष में किसी भी प्रकार के परमाणु हथियार का उपयोग नहीं किया जाएगा।

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अमेरिका का आरोप: रूस ने अंतरिक्ष में हमला करने के लिए वेपन्स बना रहा, बढ़ते खतरे का सामना

हाल ही में, अमेरिका ने आरोप लगाया है कि रूस अंतरिक्ष में हमला करने के लिए एंटी-सैटेलाइट वेपन्स बना रहा है। व्हाइट हाउस ने कुछ दिन पहले इस आरोप की पुष्टि की थी और बताया कि इन हथियारों के जरिए सैटेलाइट्स को मार गिराया जा सकता है, जिससे कम्युनिकेशन, नेविगेशन, और निगरानी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। यह आकलन आत्मसात के बढ़ते खतरों की ओर इशारा कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक नई चुनौती प्रस्तुत कर सकता है।

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अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, रूस ने एक ऐसे हथियार का डिज़ाइन किया है जो अमेरिका के सैटेलाइट नेटवर्क को नष्ट करने के उद्देश्य से बनाया गया है। हालांकि, इस आरोप का खंडन करते हुए रूसी उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने इसे एक मनगढ़ंत कहानी बताया है और अंतरिक्ष में परमाणु हथियार तैनात करने के संबंध में अमेरिकी रिपोर्टों का खंडन किया है। यह समस्या अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में नए तनाव की ओर इशारा कर सकती है।