1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले नए नियमों के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) की परिभाषा में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. सरकार ने निवेश और वार्षिक टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर अधिक व्यवसायों को MSME श्रेणी में शामिल करने का निर्णय लिया है. इसका उद्देश्य छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगों को अधिक सहूलियत देना और उन्हें विकास के नए अवसर प्रदान करना है.
पहले की तुलना में अब MSME के लिए निर्धारित निवेश और टर्नओवर सीमा में वृद्धि की गई है. यह बदलाव खासतौर पर उन व्यवसायों के लिए फायदेमंद होगा, जो पहले की सीमा से बाहर होने के कारण MSME लाभों से वंचित रह जाते थे. इस नई परिभाषा के तहत अधिक व्यवसायों को सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और आसान ऋण सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा.
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MSME नई परिभाषा: छोटे उद्योगों के विकास को मिलेगी रफ्तार
इस बदलाव से न केवल MSME सेक्टर को मजबूती मिलेगी, बल्कि इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे. MSME भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है और इसका विस्तार होने से औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि होगी. जब छोटे और मध्यम उद्योगों को अधिक वित्तीय सहयोग और सरकारी सहायता मिलेगी, तो वे अधिक लोगों को रोजगार देने में सक्षम होंगे, जिससे देश की जीडीपी को भी बढ़ावा मिलेगा.
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यह निर्णय सरकार की “आत्मनिर्भर भारत” पहल को समर्थन देता है, जिसका उद्देश्य स्थानीय उद्योगों को सशक्त बनाकर भारत को औद्योगिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है. टर्नओवर और निवेश सीमा बढ़ने से अधिक व्यवसाय MSME श्रेणी में बने रहेंगे और सरकारी योजनाओं का अधिक लाभ उठा सकेंगे, जिससे देश में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और नए स्टार्टअप्स को विकास के अधिक अवसर मिलेंगे. खासतौर पर वे स्टार्टअप्स, जो तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन MSME की पुरानी सीमा के कारण सरकारी सहायता से बाहर हो जाते थे.
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