March 6, 2025

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भारतीय शेयर बाजार में गिरावट FII की घटती दिलचस्पी खतरा या निवेश का मौका

भारतीय शेयर बाजार पिछले पांच महीनों से लगातार गिरावट के दौर से गुजर रहा है, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी ने बीते 29 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) तेज़ी से अपनी होल्डिंग बेच रहे हैं। यदि यह प्रवृत्ति बनी रही, तो शेयर बाजार के स्थिर होने का अनुमान लगाना कठिन हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत की विकास गाथा मजबूत बनी हुई है, जिससे आने वाले समय में शेयर बाजार में निवेश के बेहतर अवसर उभर सकते हैं। आइए विशेषज्ञों से इस विषय पर गहराई से समझते हैं।

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भारतीय शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट निवेशकों की बढ़ती चिंता

पिछले पांच महीनों से जारी गिरावट ने भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों को हिला कर रख दिया है। यह गिरावट इतनी तीव्र रही कि इसने पिछले 29 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के कारण बाजार में अनिश्चितता और डर का माहौल बना हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक विदेशी निवेशक प्रतिदिन औसतन 2,700 करोड़ रुपये की बिक्री कर चुके हैं। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2025 में निफ्टी में 5.9% की गिरावट दर्ज की गई, जो मार्च 2020 के बाद की दूसरी सबसे बड़ी मासिक गिरावट है।

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निफ्टी और सेंसेक्स में भारी गिरावट वैश्विक कारकों का प्रभाव

पिछले वर्ष सितंबर में निफ्टी 26,277 के उच्चतम स्तर पर पहुंचा था, लेकिन तब से अब तक यह 4,273 अंक (16%) लुढ़क चुका है। इसी तरह, सेंसेक्स भी 85,978 के शिखर से 13,200 अंक (15%) गिर चुका है। टैरिफ बढ़ाने का असर न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक बाजारों पर भी देखा जा रहा है। ट्रंप की टैरिफ बढ़ाने की धमकी से इक्विटी बाजारों में गिरावट का रुख है। घरेलू कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों और ट्रंप की चेतावनी ने भारतीय शेयर बाजार को दबाव में डाल दिया है। बीएनके सिक्योरिटीज के रिसर्च एंड एजुकेशन प्रमुख, रचित खंडेलवाल के अनुसार, टैरिफ वृद्धि का प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर जरूर पड़ेगा, लेकिन इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।

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भारतीय बाजार के लिए टैरिफ सुधार का मौका, दीर्घकालिक निवेश पर जोर

यह भारत के लिए अपने टैरिफ ढांचे में सुधार करने और कच्चे माल पर शुल्क घटाने का एक अवसर हो सकता है, जिससे भारतीय उद्योग अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकता है। यह प्रभाव सिर्फ भारतीय बाजार तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनियाभर के उभरते बाजारों में भी बिकवाली का सिलसिला जारी है, जिससे वे भी गिरावट का सामना कर रहे हैं। ऐसे में घरेलू निवेशकों को घबराने के बजाय लंबी अवधि के लिए ब्लू-चिप और अच्छे स्टॉक्स में निवेश करने पर ध्यान देना चाहिए।

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