September 19, 2024

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भारत FDI

भारत के औद्योगिक क्षेत्र में विदेशी निवेश 165 अरब डॉलर से अधिक, 69% की वृद्धि

भारत निर्माण क्षेत्र के एचएसबीसी के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में जुलाई महीने में निर्माण गतिविधियों में लगातार वृद्धि देखी गई है। इसके पीछे की वजह मजबूत घरेलू मांग और नए निर्यात आदेशों में बढ़ोतरी है।

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भारत के निर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश में 69% की वृद्धि

निर्माण क्षेत्र में पिछले दशक के दौरान विदेशी निवेश लगभग 69 प्रतिशत बढ़कर 165.1 अरब डॉलर तक पहुँच गया है, जैसा कि सरकार ने रिपोर्ट किया है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि 2014-24 की अवधि में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विदेशी इक्विटी निवेश 69 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 165.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जबकि 2004 से 2014 के बीच यह आंकड़ा 97.7 अरब डॉलर था। राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के कारण पिछले पांच वर्षों (2019-20 से 2023-24) में भारत में 383.5 अरब डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) आया है।

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पिछले महीने PMI इंडेक्स 58.1 पर

एचएसबीसी के ताजे सर्वेक्षण के अनुसार, जुलाई में भारत में निर्माण गतिविधियों में लगातार वृद्धि देखी गई है। इसके पीछे की मुख्य वजह मजबूत घरेलू मांग और नए निर्यात आदेशों में बढ़ोतरी है। एसएंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित एचएसबीसी फाइनल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) पिछले महीने 58.1 पर बना रहा। यह इंडेक्स जुलाई 2021 के बाद से लगातार 50 के ऊपर रहा है, जो इस क्षेत्र की गतिविधियों में निरंतर वृद्धि को दर्शाता है।

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PLI स्कीम के तहत मार्च तक 1.23 लाख करोड़ रुपये का निवेश

सरकारी डेटा से मिली जानकारी के मुताबिक, पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) के तहत 14 मुख्य सेक्टर में निवेश के 755 प्रस्तावों को अनुमति दी गई है और मार्च तक 1.23 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जिसके कारण करीब 8 लाख रोजगार सृजित हुए हैं. केंद्र सरकार की ओर से 14 सेक्टरों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये (करीब 26 अरब डॉलर) के बजट से देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए पीएलआई स्कीम शुरू की गई है.जिन सेक्टरों में पीएलआई स्कीम शुरू की गई है, उनमें इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट, मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग, फार्मा, ऑटोमोबाइल और स्टील कंपोनेंट, स्टील, टेलीकॉम प्रोडक्ट्स, कपड़ा, खाद्य और अन्य सेक्टर्स शामिल हैं.