January 31, 2025

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Deepseek

चीन का Deepseek भारत और अमेरिका इसे क्यों नहीं अपनाना चाहते

जब दुनिया AI तकनीक में ChatGPT जैसे टूल्स को स्वीकार करने लगी थी, तभी चीन ने अपने ‘Deepseek’ से सभी को चौंका दिया। इस AI टूल को देखकर विशेषज्ञों में चिंता बढ़ गई है, और अब दुनिया भर के देश इसे खतरे के रूप में देख रहे हैं।

आशंका है कि चीन इसका इस्तेमाल लोगों का डेटा चुराने के लिए कर सकता है, और अमेरिका व भारत जैसे देश इस टूल की प्राइवेसी को लेकर चिंतित हैं।

ऐसा कहा जा रहा है कि जैसे अन्य चीनी ऐप्स के साथ हुआ, वैसे ही ‘Deepseek’ भी डेटा चोरी कर सकता है। हालांकि, इस बारे में अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।

चीन का Deepseek टूल नवीनतम तकनीक पर आधारित है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर पहले ही कई तरह की धारणाएं बन चुकी हैं।

अधिकतर लोग इसे एक जाल के रूप में देख रहे हैं और मानते हैं कि इससे चीन आपके फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर में घुसकर निजी जानकारी चुरा सकता है।

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कम लागत में शक्तिशाली एआई टूल Deepseek का अनोखा दावा

Deepseek के लॉन्च से पहले, एआई टूल्स बनाने को लेकर यह धारणा थी कि ये काफी महंगे होते हैं, लेकिन चीन ने सस्ते में Deepseek तैयार कर यह साबित कर दिया कि कम लागत में भी ऐसे एप्लिकेशन बनाए जा सकते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या इस कम कीमत वाले टूल में आपकी प्राइवेसी उतनी ही सुरक्षित रह पाएगी जितनी कि अन्य टूल्स में है। यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है।

कहा जा रहा है कि Deepseek एक नई तकनीक है, जो विशेष रूप से एआई प्रोसेसिंग के लिए डिज़ाइन की गई है। यह सामान्य जीपीयू या सीपीयू से अलग है क्योंकि इसे खासतौर पर एआई वर्कलोड के लिए ऑप्टिमाइज किया गया है।

चीन के Deepseek टूल पर संदेह की कई वजहें हैं, जिनमें से पहली यह है कि इसे चीन में ही तैयार किया गया है, और इसी वजह से लोग इसे पूरी तरह से भरोसेमंद नहीं मान पा रहे हैं।

चीनी एप्स और टूल्स पर डेटा चोरी के आरोप पहले भी लग चुके हैं, और इसके कारण कई चीनी एप्स पर प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है।

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डेटा चोरी की आशंका और बैन की कहानियां

कई देशों को डर है कि अगर उन्होंने इसे अनुमति दे दी, तो यह उनके नागरिकों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां चुरा सकता है। डेटा चोरी के आरोपों के कारण हुवाई और टिकटॉक जैसे एप्स भी कई देशों में बैन हो चुके हैं।

चीन ने क्रिसमस के अगले ही दिन अपने ‘Deepseek’ वी 3 मॉडल को पेश किया, और इसने एआई मार्केट में एक हलचल मचा दी।

शुरू में इसके प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही थी, लेकिन जैसे ही इस तकनीक के बारे में और जानकारी सामने आई, लोगों की चिंताएं बढ़ गईं।

ऐसा लगने लगा कि चीन चैट GPT की जगह इस नई तकनीक के जरिए हमारे डेटा और जानकारियां चुरा सकता है। दुनिया की प्रमुख कंपनियां अपने चैटबॉट्स को सुपरकंप्यूटरों से प्रशिक्षित करती हैं, जिनमें 16,000 से ज्यादा चिप्स का इस्तेमाल होता है।

लेकिन Deepseek को काफी कम लागत में तैयार किया गया है। इसकी कम लागत और शक्तिशाली एआई मॉडल ने विशेषज्ञों को भी चौंका दिया। चीन के Deepseek ने अमेरिकी शेयर बाजार पर भी असर डाला, और वहां भारी गिरावट देखने को मिली।

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Deepseek की प्राइवेसी पॉलिसी जानकारी संग्रहण के तरीके

कहा जा रहा है कि Deepseek के पास अपनी खुद की प्राइवेसी पॉलिसी है, जो उसने अपने प्लेटफॉर्म पर स्पष्ट रूप से साझा की है।

इस पॉलिसी के तहत, Deepseek तीन तरीकों से जानकारी एकत्र करता है। पहला तरीका है यूजर्स द्वारा दी गई जानकारी, दूसरा तरीका है ऑटोमैटिक डेटा कलेक्शन है।

अब चीन ने कम लागत में इतना प्रभावशाली एआई टूल Deepseek तैयार किया है, जिससे लोगों का संदेह और बढ़ गया है।

और तीसरा तरीका है अन्य स्रोतों से डेटा जुटाना जब उपयोगकर्ता अपना अकाउंट बनाते हैं, तो वे अपनी कुछ जानकारी जैसे नाम, ईमेल पता और टेलीफोन नंबर एंटर करते हैं।

वहीं, ऑटोमैटिक कलेक्शन में डिवाइस जानकारी और नेटवर्क कनेक्शन की जानकारी ली जाती है।

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