March 6, 2025

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जमा पर पांच लाख से ज्यादा की बीमा गारंटी से बैंकों के लाभ पर असर

क्रा का कहना है कि न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की हालिया विफलता के कारण बीमा की सीमा बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, ऐसा कदम बैंकों के मुनाफे में 12,000 करोड़ रुपये की कमी ला सकता है। यदि पांच लाख रुपये से अधिक की बैंक जमा पर बीमा गारंटी की सीमा बढ़ाई जाती है, तो इससे बैंकों के मुनाफे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने बताया कि वर्तमान में, अगर बैंक डूबते हैं तो पांच लाख रुपये तक की जमा राशि को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के माध्यम से कवर किया जाता है, और सरकार इस सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रही है।

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इक्रा ने कहा, न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की हालिया विफलता के चलते बीमा की सीमा बढ़ाने का विचार आया होगा। लेकिन, ऐसे कदम से बैंकों के मुनाफे में 12,000 करोड़ रुपये की कमी आ सकती है। इससे पहले पंजाब एवं महाराष्ट्र बैंक संकट के बाद फरवरी, 2020 में इस सीमा को एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया था। मार्च, 2024 तक 97.8 फीसदी बैंक खाते पूरी तरह कवर हो चुके थे। जमा राशि मूल्य के अनुसार, 31 मार्च 2024 तक बीमित जमा अनुपात (आईडीआर) 43.1 फीसदी रहा था।  भारतीय बैंकों में सभी रकम डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के तहत प्रति ग्राहक 5 लाख रुपये तक का जमा बीमा कवर होता है और इतनी ही रकम आपको मिलती है।

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डीआईसीजीसी बीमा सीमा: एक ही बैंक में जमा पर 5 लाख रुपये तक की गारंटी

भले ही जमा 10 लाख हो, या 20 लाख या एक करोड़। अगर किसी का जमा एक लाख है तो उसे एक लाख रुपये पूरे मिल जाएंगे। 5 लाख जमा है तो पांच लाख मिलेंगे। उससे ज्यादा जमा है तो भी पांच लाख रुपये ही मिलेंगे। हालांकि, अगर आपका जमा कई बैंकों में है और सारे बैंक डूबते हैं तो फिर हर बैंक पांच लाख रुपये देगा। लेकिन एक ही बैंक में कई खाते हैं तो कुल मिलाकर भी पांच लाख रुपये ही मिलेंगे। जारी मौजूदा निर्देशों के अनुसार, जमाकर्ताओं को रकम पाने के लिए छह महीने तक इंतजार करना होगा। जमाकर्ता अधिक जानकारी के लिए बैंक अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। विवरण डीआईसीजीसी की वेबसाइट: www.dicgc.org.in पर भी देखा जा सकता है। 

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हमारे देश में छोटे जैसे क्रेडिट सोसाइटी और सहकारी बैंकों में गवर्नेंस का पालन बहुत कम होता है। इसका फायदा उठाते हुए इस तरह के संस्थान अपने लोगों या उन कंपनियों को ज्यादा कर्ज देते हैं जो इस रकम को लौटाने में सक्षम नहीं होती हैं . आरबीआई द्वारा जारी निर्देशों को बैंकिंग लाइसेंस के रद्दीकरण या उसे बंद करने के रूप में नहीं समझना चाहिए। बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कार्यों को जारी रखेगा। बदलती परिस्थितियों के आधार पर इन निर्देशों को आरबीआई संशोधित कर सकता है। समस्याओं के पूर्ण समाधान से पहले कुछ निकासी सीमाएं लागू करने की मंजूरी आरबीआई दे सकता है। इससे जमाकर्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है।