May 20, 2025

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इरफान

‘रूह में बसते हैं इरफान’, पान सिंह तोमर और पीकू के को-एक्टर्स की जुबानी जानिये कैसे थे ‘साहबजादे’

चाहे ‘हासिल’ के रणविजय सिंह हों या ‘मकबूल’ के मियां मकबूल, ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ के मॉन्टी हों या ‘हैदर’ के रूहदार इरफान खान ने हर किरदार को अपनी आत्मा से जिया और उसे इस तरह पेश किया कि वह सीधे दर्शकों के दिलों में उतर जाते थे. आज से ठीक पांच साल पहले वह मनहूस दिन आया था जब ‘साहबजादे इरफान अली खान’ अपने चाहने वालों से हमेशा के लिए जुदा हो गए.

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इरफान खान 30 साल के करियर में अजय अभिनय से दर्शकों की रूह में समा गए

29 अप्रैल 2020 में मात्र 53 वर्ष की उम्र में इरफान हम सबको अलविदा कह गए. अपने 30 साल के करियर में इरफान ने पद्मश्री, राष्ट्रीय पुरस्कार और छह फिल्मफेयर अवॉर्ड समेत कई पुरस्कार अपने नाम किए थे. ‘हासिल’ का रणविजय सिंह हो या ‘मकबूल’ का मियां मकबूल, ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ का मॉन्टी हो या ‘हैदर’ का रूहदार. इरफान अपने हर किरदार को रूह में समां लेते थे और उसे निभाकर वो खुद दर्शकों की रूह में समां जाते थे. और सच है कि इरफान आज भी हमारी रूह में बसते हैं.

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मुंबई के शुरुआती दिनों की यादें जब इरफान, मनोज बाजपेयी और संजय मिश्रा साथ काम करते थे

‘इरफान को मैं तब से जानता था जब से वो मुंबई आए थे. मेरी मुलाकात उनसे तिग्मांशु धूलिया (निर्देशक) के जरिए हुई थी. हमने पहली बार साथ में एक टीवी शो था ‘हम बॉम्बे नहीं जाएंगे’ उस पर काम किया था. इसमें इरफान के अलावा मनोज बाजपेयी, संजय मिश्रा और निर्मल पांडे जैसे कलाकारों ने भी काम किया था. शो के कुछ एपिसोड मैंने और कुछ सौरभ शुक्ला ने लिखे थे. हम सभी साथ ही काम करते थे. शाम में क्रिकेट खेलते थे, रात को तिग्मांशु के यहां बैठकर बातें करते थे.’

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संघर्ष के दिनों से सफलता तक इरफान खान के साथ यादगार सफर

‘फिर मैंने स्टार बेस्टसेलर के लिए एक कहानी लिखी थी ‘भंवरे ने खिलाया फूल’. इसमें इरफान के साथ एक्ट भी किया था. इसे तिग्मांशु ने डायरेक्ट किया था. तो हम लोग तो तभी से साथ काम कर रहे थे. उस वक्त तो हम सभी स्ट्रगल कर रहे थे. फिर धीरे-धीरे इरफान को सफलता मिली. हमें हमेशा से पता था कि वो कमाल का एक्टर है. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से निकलकर आया था. जितना अच्छा कलाकार था, उतना ही बेहतरीन इंसान भी था.’

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