एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। न कोई एक्शन, न ड्रामा, और न ही बड़ा स्टार कास्ट, फिर भी “चिल्लर पार्टी” आज बेहतरीन फिल्मों में शुमार है। भले ही फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कमाई न की हो, लेकिन इसने बेस्ट चिल्ड्रन फिल्म का नेशनल अवॉर्ड जीता है। इस फिल्म के बाद नितेश तिवारी और विकास बहल का नाम सिनेमा में चमकने लगा था।
विकास बहल और नितेश तिवारी ने मिलकर “चिल्लर पार्टी” की कहानी लिखी थी और दोनों ने इस फिल्म से अपने निर्देशन करियर की शुरुआत की थी। हाल ही में, नितेश तिवारी ने यह खुलासा किया कि शुरुआत में वह इस फिल्म का निर्देशन नहीं करना चाहते थे।
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फन के लिए लिखी गई चिल्लर पार्टी
मिड-डे के अनुसार, गेम चेंजर पॉडकास्ट में नितेश तिवारी ने बताया कि उन्होंने और विकास बहल ने “चिल्लर पार्टी” को सिर्फ मजे के लिए लिखा था। निर्देशक के मुताबिक, “हम कभी भी इस फिल्म का निर्देशन नहीं करना चाहते थे। जब विकास और मैंने चिल्लर पार्टी लिखना शुरू किया, तो यह सिर्फ मनोरंजन का तरीका था। मैं अपनी विज्ञापन नौकरी में व्यस्त था और विकास भी अपने काम में था। इसलिए हमने वीकेंड्स पर इसे लिखा, और लिखते समय यह इतना अच्छा लगा कि हमें बहुत मजा आया।”
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कोई नहीं बनाना चाहता था चिल्लर पार्टी
कोई भी निर्देशक बिना हीरो के “चिल्लर पार्टी” का निर्देशन करने के लिए तैयार नहीं हो रहा था। नितेश तिवारी ने बताया, “हम इसे 7-8 निर्देशकों के पास ले गए, कई बार कोशिश की, लेकिन कोई भी इसे बनाना नहीं चाहता था। फिल्म में 10 बच्चे और 1 कुत्ता था, और कई निर्देशक हीरो के बिना फिल्म बनाने के लिए तैयार नहीं थे। उन्हें डर था कि यह फिल्म एक विशिष्ट वर्ग तक सीमित हो जाएगी और लोग सोचेंगे कि यह निर्देशक सिर्फ बच्चों की फिल्में बनाता है। इसलिए हमने इसे कुछ समय के लिए छोड़ दिया।”
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नितेश तिवारी नहीं करना चाहते थे निर्देशित
नितेश तिवारी ने आगे बताया, “विकास ने मुझसे पूछा कि क्या मैं इस फिल्म का निर्देशन करूंगा। मैंने कहा, ‘मुझे कोई पागल कुत्ता नहीं काटा है। मेरा विज्ञापन करियर अच्छा चल रहा है, और मुझे निर्देशन का कोई अनुभव नहीं है।’ लेकिन वह लगातार मुझे मनाने की कोशिश करता रहा और बोला, ‘मैं तुम्हें मनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूं, हम साथ काम करेंगे। या तो हम साथ काम करें, या फिर फिल्म को भूल जाएं।’ तब मैंने सोचा कि यह एक बड़ा मौका मेरे पास आ रहा है, अगर निर्देशन में कुछ नहीं हुआ तो मेरे पास इंजीनियरिंग की डिग्री है। तो क्यों न एक बार इसे आजमाया जाए, अगर निर्देशन नहीं चलता, तो लेखन तो है ही।”
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