शुक्रवार को उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्रों में दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के कारण वरुणावत पर्वत के भूस्खलन क्षेत्र से मलबा और पत्थर गिरे। दूसरी बार झटके सुबह 8:19 बजे महसूस हुए, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.5 मापी गई। तीसरी बार जनपद मुख्यालय में सुबह 10:59 बजे भूकंप के झटके दर्ज किए गए।
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भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी में जमीन से पांच किलोमीटर गहरा था। जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने सभी तहसीलों से भूकंप के प्रभाव की जानकारी मांगी है। अब तक किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं आई है। कहा जा रहा है कि वरुणावत पर्वत इतना कमजोर हो चुका है कि 3 तीव्रता के भूकंप में भी पत्थर गिर रहे हैं।
भूकंप क्यों आता है?
पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स लगातार गतिशील रहती हैं। जहां ये प्लेट्स अधिक टकराती हैं, उसे फॉल्ट लाइन जोन कहा जाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के किनारे मुड़ने लगते हैं। जब दबाव बढ़ जाता है, तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। इस प्रक्रिया में जमा ऊर्जा बाहर निकलने का रास्ता ढूंढती है। इससे डिस्टर्बेंस उत्पन्न होता है, और भूकंप आता है।
भूकंप के केंद्र और तीव्रता का क्या मतलब है?
भूकंप का केंद्र वह स्थान है, जहां प्लेटों की हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन अधिकतम होता है। जैसे-जैसे कंपन दूर होता है, उसका प्रभाव घटता जाता है। यदि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7 या उससे अधिक हो, तो 40 किलोमीटर के दायरे में तेज झटके महसूस होते हैं। हालांकि, इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की ओर है या फैलाव में। यदि कंपन ऊपर की ओर हो, तो क्षेत्र सीमित रहता है।
भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है और इसका पैमाना क्या है?
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल से मापी जाती है, जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहते हैं। इस स्केल पर तीव्रता 1 से 9 के बीच मापी जाती है। भूकंप का माप उसके केंद्र, जिसे एपीसेंटर कहते हैं, से किया जाता है। धरती के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा की तीव्रता इस स्केल पर रिकॉर्ड होती है। इस तीव्रता से भूकंप के झटकों की गंभीरता और प्रभाव का अनुमान लगाया जाता है।
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