जब से प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल नेपाल के नेता बने हैं, भारत इस बात को लेकर बहुत सावधान रहा है कि उस देश में क्या होता है। प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा और वर्तमान प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली, दोनों का पिछला इतिहास भारत के साथ संबंध सुधारने के मंच पर चुना गया था, यह अच्छा नहीं रहा है। दोनों पुरुष चीन के समर्थक हैं, और जब देउबा ने संबंधों को सुधारने की कोशिश की, तो अंतिम समय में प्रचंड उनके खिलाफ हो गए। माना जा रहा है कि प्रचंड ने चीन के इशारे पर ऐसा किया, क्योंकि वह भी चीन के समर्थक हैं। ऐसे में लगता है कि नेपाल में भारतीय प्रभाव को कम करने की चीन की कोशिशें कामयाब हो रही हैं।
चीन ने पाकिस्तान के बाद अब नेपाल के रास्ते भी भारत में अशांति फैलाने की साजिश रच दी है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रचंड के पीएम बनने से भारत और नेपाल के संबंध अधिक तनावपूर्ण हो सकते हैं। सीमा पर नेपाल चीनी साजिश के दबाव में तनाव पैदा करने वाली हरकतें कर सकता है। प्रचंड और गठबंधन के दूसरे नेता केपी शर्मा ओली दोनों का झुकाव चीन की ओर ही रहा है। विदेश नीति के विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि भारत को नेपाल के घटनाक्रम पर सावधानी से नजर रखनी होगी और समग्र संबंधों को आगे बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। उनकी यह टिप्पणी पूर्व माओवादी नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली नयी नेपाल सरकार के तहत चीन के लाभ की स्थिति में होने की आशंकाओं के बीच आई है।
More Stories
Kharge Claims Modi Government Sending 15,000 Indian Workers to Israel Amid Ongoing Conflict
Telangana Minister Claims KTR Behind KCR’s ‘Disappearance’
मंत्रालय की तीसरी मंजिल से कूदे डिप्टी स्पीकर नरहरी झिरवल, सुरक्षा जाली पर फंसे